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बाल मजदूर -

बाल मजदूर -ओंम प्रकाश नौटियाल

मुझे देखते हो आप
ईंटें ढोते हुए
और नाम दे देते हो
बाल मजदूर
आप शायद नहीं जानते
मैं कभी
"बाल" था ही नहीं
बचपन तो मेरा
खो  गया था
बचपन में ही
धूप की तपन में
सर्द सिहरन में
घुटन में
जूठन में
बर्तन धोते हुए
खेत बोते हुए
बालू ढोते हुए
मैं व्यस्त हूं तभी से
किसी न किसी निर्माण में
क्योंकि मैं ही हूं
इस देश का भविष्य
देश का कर्णधार
इसीलिए निरंतर ढो रहा हूं
देश निर्माण का भार
मैं देश का
भाग्य विधाता हूं
स्वयं को समझाता हूं
कि बचपन तो
चोंचला है अमीरों का
ढकोसला है वक्त का
दोष है जन्मजात रक्त का
बचपन उनका
जिनके पास
समय है खोने को
खेलने सोने को,
जिन्हें निर्माण कर
देश को वैभव देना है
उन्हें शैशव से क्या लेना है ?
----------ओंम प्रकाश नौटियाल
(पुस्तक "पीपल बिछोह में " से उद्धत -सर्वाधिकार सुरक्षित)

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